Thursday, March 15, 2018

पूर्णविराम



पूर्णविराम!

अम्मां, अपनी गली में है एक छेड़ूराम

आज धर दिया मैंने धप्पा
भागा करता पप्पा पप्पा
मैं भी गाती लारालप्पा
दे कर आई उसको अच्छा -सा  ईनाम.

छोटी हूँ पर इतनी भी ना
सुनूं मनचलों की, बोलूँ ना
आना जाना मैं  रोकूँ ना
आये-गए बिना चलता है किसका काम?

भैया भैया बोलो उनको
फिर भी समझ न आए उनको
गुस्स्सा है  अब बहुत अपुन को
कोमा से तो भला, लगा दूं पूर्णविराम .

- रमेश तैलंग /16-03-2018
चित्र सौजन्य : google  

No comments:

Post a Comment