Tuesday, June 24, 2014

एक और बिंदु पर विचार करे भारत सरकार


फेसबुक से साभार :

बाल साहित्य में अब तक काफी शैक्षिक शोध हो चुके है और पी-एच डी /डी.लिट् की उपाधियाँ भी वितरित की जा चुकी हैं तो क्या अब यह उपयुक्त समय नहीं कि हिंदी साहित्य के स्नातक/परास्नतक पाठ्यक्रम में बालसाहित्य को शामिल किया जाए और उस पर एक स्वतंत्र प्रश्नपत्र रखा जाए...यूं.जी.सी तथा उच्च शिक्षा विभाग को इस बिंदु पर विचार करना चाहिए. आप की क्या राय है?
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  • Sujata Budhiraja Uttam sujhav. Yadi aisa ho toh humare samaj ko ek naya aayaam bhi mil jayega. Is sandarbh mein Hindi Akadami ke maadhyam se bhi prapatr jaari kiya ja sakta hai.
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  • Pankaj Chaturvedi महाराष्‍ट्र में एक विश्‍वविदयालय में है
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  • Ramesh Tailang दूसरे विश्वविद्यालयों को अनुसरण करना चाहिए महाराष्ट्र का ...
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  • Hiraman Lanje इस सुझावपर अमल हो.बालसाहित्यिक इस दशामे प्रयास करे.
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  • Ramesh Tailang इस पोस्ट को माननीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी जी के ऍफ़.बी.मेसेज बॉक्स में भी फॉरवर्ड किया गया है. निकट भविष्य में एक औपचारिक पत्र भी भेजा जाएगा ..आपकी दुआओं में असर रहा तो सर्कार इस दिशा में भी चैतन्य होगी और कुछ सार्थक पहल करेगी.
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  • Sujata Budhiraja Bahut achchha prayas hai. Ishwar ki krupa aur hum sabki mehnat se yeh prayas avashya falibhut hoga!
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  • Amar Goswami right
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  • अनु प्रिया Bilkul ,is par vichar karna chahiye
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  • Praveen Tiwari ओजस्वी सोच है
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  • Ramesh Tailang

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