Friday, June 27, 2014

आज बस इतना ही …28 जून, 2014

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आज बस इतना ही …28 जून, 2014

आधी उमर गुज़ार आए ख्वाब संजो के
बाकी गुज़ार दी पुरानी यादों में खो के

मंजिल तो मिल सकी न ज़िंदगी के सफ़र में
हम रह गए बस जैसे  रास्तों के ही होके

पांवों की जलन ने किया बेचैन जब हमें
आराम ढूंढ्ते रहे दामन को भिगो के

ऐसे जियो, वैसे जियो, सौ मुंह, सौ सलाहें
पर न मिली निज़ात दुखों से, कभी रो के

कुछ दर्द चाह कर भी बयां हो नहीं पाते
थकने लगे हैं कधे भी जज्बातों को ढो के 

लग जायेगी जब नींद किसी दिन तो देखना
बिस्तर से न उठेंगे  एक बार भी सो के

- रमेश तैलंग

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