Sunday, May 12, 2013

किसी बहाने सही




किसी बहाने  सही, याद मेरी आया करे. 
खुदा कभी भी उसे मुझसे न पराया करे.

ये रिश्ते भी बड़ी  नायाब चीज़  होते हैं 
दुआ करो कि इन्हें यूं न कोई ज़ाया करे.

शज़र लगाऊं जहां भी कहीं मोहब्बत का 
मैं चाहता हूं वो हर एक सर पे छाया करे.

भरा हो आंखों में सैलाब जब दुखों का तो 
ये ज़रूरी है कोई आ मुझे  रुलाया करे.

मैं हूं इंसान, हैं मुझमें भी हजारों कमियां
मेरी इस बात पे कोई तो यकीं लाया करे.

- रमेश तैलंग 


(चित्र सौजन्य: गूगल -हेमंत शेष)

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