Wednesday, December 14, 2011

एक खबर को पढकर ...........

http://nation.com.pk/pakistan-news-newspaper-daily-english-online/Opinions/Editorials/14-Dec-2011/Children-in-chains



जंजीर में जकड़े ये बदनसीब देखिये.
तालीम देने वालों की तहजीब देखिये.

ढोना है जिसे अपने ही कन्धों पे उन्हें कल,
ये कायदे-कानूनों की सलीब देखिये.

मज़हब,जिहाद,कौमपरस्ती के नाम पर
बिकते हैं रोज किस तरह गरीब देखिये.

होना था जिन्हें इस समय माँ-बाप के करीब
वे हो गए बंदूकों के करीब देखिये.

तूती की तरह ही सही,नक्कारखाने में
आवाज़ लगाता हुआ अदीब देखिये.

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